जल महल का इतिहास और उससे जुड़ी सम्पूर्ण रोचक जानकारी | Jal Mahal History in Hindi:- जैसा कि आप सभी जानते है, जयपुर शहर अपनी ऐतिहासिक बहुमूल्य धरोहरों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। इतिहास की दृष्टि से जयपुर शहर बहुत ही खास है। जयपुर शहर को गुलाबी नगरी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि, जयपुर की सम्पूर्ण दीवारें, घर व गलियाँ सब कुछ गुलाबी रंग के बने हुए है।
जयपुर शहर की प्राचीन संस्कृति व सभ्यता के लिए भी प्रसिद्ध है। वैसे तो जयपुर शहर में देखने लायक बहुत सी ऐतिहासिक धरोहरें व इमारतें है। लेकिन, आज इस लेख में हम आपको जिस ऐतिहासिक धरोहर के बारे में बताएँगे, उसका नाम है:- जलमहल। तो चलिए दोस्तों, शुरू करते है:- Jal Mahal History in Hindi
Jal Mahal Jaipur (जल महल जयपुर)
राजस्थान के सभी प्राचीन इमारतों व महलों की तरह ही जल महल का इतिहास भी एक बहुत रोचक है। इस लेख में हमने आपके लिए जलमहल का सम्पूर्ण इतिहास उजागर किया है। अतः आप सभी से निवेदन है कि इस लेख को पूरा पढ़िए। इस लेख में आपको जलमहल और उसके इतिहास से सम्बंधित सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त होगी।
जल महल का इतिहास शुरु होता है -18वीं शताब्दी से, जब जल महल का निर्माण हुआ था। जल महल का निर्माण आमेर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 18वीं शताब्दी में करवाया था। जल महल राजस्थान राज्य के जयपुर ज़िले में स्थित है।
यह महल मानसागर झील के बिल्कुल बीच में बना हुआ है। इसी कारण यह यह महल अरावली पहाड़ियों के बिल्कुल बीच में नीचे की तरफ़ स्थित है। इस महल को “रोमांटिक महल” भी कहा जाता है।
जल महल एक 2 मंजिला वर्गाकार ईमारत है। इसमें मेहराब, बुर्ज, छतरियां, सीढ़ीदार जिने आदि मौजूद है। आज के समय में जल महल एक पक्षी अभ्यारण के रूप में भी उभर रहा है। जल महल की नर्सरी में राजस्थान के सबसे ऊंचे पेड़ लगे हुए है।
यहाँ करीब 1 लाख से अधिक वृक्ष लगे हुए है। इन पेड़-पौधों की देखभाल 40 माली करते है। यहाँ पर लगभग 150 वर्ष पुराने पेड़ों का ट्रांसप्लांट करके नव-जीवन दिया गया है। सवाई जय सिंह ने इस महल को इस प्रकार से बनवाया है कि, यह महल देखते ही किसी को भी पसंद आ जाए।
इस महल में प्रत्येक वर्ष अनेक प्रकार के पेड़ों को नव-जीवन दिया जाता है। यहाँ पर अरावली, शर्ब, हेज, क्रीपर और ओर्नामेंटल की लाखों प्रजातियां मौजूद है।
जयपुर के जल महल का इतिहास (Jal Mahal History in Hindi)
राजस्थान राज्य के जयपुर ज़िले में, मानसागर झील के बीच में स्थित जल महल का निर्माण सवाई जय सिंह द्वितीय ने 18वीं शताब्दी में करवाया था। उन्होंने इस महल का निर्माण अश्वमेघ यज्ञ के बाद अपनी रानियों व पंडितों के साथ स्नान करने के लिए करवाया था।
जल महल के निर्माण से पहले जयसिंह ने गर्भावती नदी पर मानसागर झील का निर्माण करवाया था। उन्होंने इस झील का निर्माण इसलिए करवाया था ताकि जयपुर के लोगों को पानी की आपूर्ति मिल सके। सवाई जयसिंह ने मानसागर झील का निर्माण सन 1799 ईस्वी में करवाया था।
इस झील के निर्माण में राजपूत शैली से बनी नावों का इस्तेमाल किया गया था। राजा इस महल का इस्तेमाल अपनी रानी के साथ खाली समय बिताने के लिये किया करते थे। इस महल में त्यौहारों पर उत्सवों का आयोजन भी होता था। जल महल जिस सरोवर में स्थित है, उस सरोवर में पहले पानी को एकत्रित किया जाता था।
सन 1596 ईस्वी में यहाँ पर अकाल पड़ गया था। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आमेर के महाराजा सवाई जय सिंह ने यहाँ बाँध बनाने का निर्णय लिया, ताकि व्यर्थ जल को एकत्रित किया जा सके। उनका उद्देश्य आमेर व आमागढ़ पहाड़ से जल एकत्रित करना था। इस उद्देश्य कद अनुसार यहां पर बांध का निर्माण हुआ। इस बांध के निर्माण से यहाँ जल की समस्या दूर हो गयी।
कुछ वर्षों के बाद 17वीं शताब्दी में इस बांध को पत्थरों का बनाया गया। इस बांध की लम्बाई लगभग 300 मीटर (980 फ़ुट) और गहराई 28.5 मीटर से 34.5 मीटर (94 – 113 फ़ुट) है। जल के बहने के लिए इस बांध में 3 द्वार है।
इन द्वारों के निर्माण का उद्देश्य है कि जरूरत के समय खेती को जल मिल सके। निर्माण के बाद से ही छह बांध यहां के लोगों में काफी प्रसिद्ध हो गया। इस बांध की मरम्मत लगभग सभी राजाओं ने समय-समय पर करवाई है। 18वीं शताब्दी में इस बांध का पुनर्निर्माण सवाई जय सिंह ने करवाया था।
जल महल की बनावट व संरचना (The Structure & Structure of Jal Mahal)
जल महल मानसागर झील की गोद में स्थित है। इस महल में राजपूती शैली में लकड़ियों की नावों को बनाया गया है। इन नावों को बनाने के लिए पारंपरिक वृंदावन के नाविकों को यहां बुलाया गया था। जल महल में सिर्फ नाव की मदद से ही प्रवेश किया जा सकता है।
जल महल में प्रवेश द्वारों को भी सजाया गया है। इस महल के ऊपरी तरफ आपको चमेली बाग भी दिखाई देगा। इस बाग की सुगन्ध अत्यंत मनमोहक है, जो आपके मन को मोहित कर लेगी। सरोवर के ठीक सामने की तरफ आपको विशाल पर्वतमाला दिखाई देंगी।
जिनके ऊपर मंदिर व क़िले बने हुए है। यह पर्वतमालाएं अरावली पर्वतमालाएं है। इस सरोवर से दूसरी तरफ देखने पर जयपुर शहर दिखाई देता है। जल महल का सबसे आकर्षण का केंद्र सरोवर है। इस सरोवर में बहुत अधिक कचरा जमा होता है।
यहाँ लगभग प्रत्येक वर्ष 2 टन टॉक्सिक को पानी में बहा दिया जाता है। इस सरोवर में पानी को शुद्ध रखने के लिए “जल शुद्धिकरण यंत्र” भी लगे हुए है। इस सरोवर में विभिन्न प्रकार के पक्षी दिखाई देते है। जल महल को इस प्रकार से बनाया गया है कि भयानक गर्मी में भी इस महल में ठंडक प्राप्त होती है।
इसका कारण यह है कि इस महल का तल पानी के अंदर बना हुआ है। यहां से पहाड़ व झील का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है। रात के समय में चाँद की रौशनी में जल महल का नज़ारा तो देखते ही बनता है।
जल महल म निर्माण 250 वर्ष पूर्व किया गया था। यह महल उम्मीदों पर पूरी तरह से खरा उतरा है। जल महल 5 मंजिला ईमारत है। जिसमें से 4 मंजिल तो जल में डूबी रहती है। इसके बावजूद भी यह महल बहुत ही आकर्षक दिखाई पड़ता है।
यह महल अद्भुत वास्तुकला का उदाहरण है। तो दोस्तों, यह था जल महल का इतिहास व इसकी संरचना। मैंने आप सभी को जल महल के बारे में सब कुछ बता दिया है। आशा करता हूँ कि यह आपको जरूर पसन्द आया होगा।
जल महल तक कैसे पहुंचेंगे? (How To Reach Jal Mahal?)
अगर आप जयपुर घूमना चाहते है या फिर जल महल देखना चाहते है। लेकिन आपको यह पता नही है कि आप यहाँ कैसे पहुंच सकते है? तो आपको चिंतित होने की जरा भी जरूरत नही है। क्योंकि हम आपका पूरा मार्गदर्शन करेंगे।
आप यहाँ हवाई जहाज, रेलगाड़ी व बस से यात्रा कर सकते है। अगर आप सड़क मार्ग से यहां आना चाहते है तो आप जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग 8 के द्वारा यहाँ आ सकते है।
इसके अलावा आप यहाँ हवाई जहाज से भी आ सकते है। जयपुर से 7 किलोमीटर दूर ही हवाई अड्डा स्थित है। आप रेलगाड़ी के द्वारा भी आ सकते है। रेलवे स्टेशन, जयपुर से 5 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है।
नजदीकी हवाई अड्डा | जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा |
नजदीकी बस स्टेशन | सिंधी कैम्प, जयपुर |
नजदीकी रेलवे स्टेशन | जयपुर जंक्शन |
नजदीकी विश्रामगृह | आप यहाँ होटल, धर्मशाला व अतिथि-गृह में रूक सकते है। आपके बजट के अनुसार सभी प्रकार के विश्रामगृह मौजूद है। |
जल महल का प्रवेश शुल्क (Jal Mahal Entry Fee)
Tourist (पर्यटक) | Entry Fee (प्रवेश शुल्क) |
भारतीय पर्यटक | 10 रुपये |
विदेशी पर्यटक | 50 रुपये |
जल महल से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी (Other Important Information Related to Jal Mahal)
जल महल में घूमने की समय अवधि | 3 -4 घण्टे |
जल महल में प्रवेश समय | 9:00 AM – 5:00 PM |
जल महल जाने का सबसे अनुकूल समय | मार्च तथा अक्टूबर माह में |
आमेर पहुँचने के वाहन | ऑटो-रिक्शा तथा बस |
जल महल का पता | जल महल, आमेर रोड़, जयपुर, राजस्थान – 302002 |
फ़ोन नंबर (कार्यालय) | +91-141-2630714 |
कार्यालयी वेबसाइट | www.jaltarang.in |
Hotels Near Jal Mahal (जल महल के पास होटल)
Hotel | Price |
Hotel Roma Palace Jaipur | |
Hotel H R Palace | |
Trident, Jaipur | |
OYO 2105 Hotel Royal Sheraton | |
Jorawar Haveli | |
Saba Haveli | |
Park Regis | |
Umaid Bhawan Heritage House Hotel | |
Bissau Palace | |
OYO 36316 Hotel White Palace |
जल महल जाते समय आवश्यक निर्देश व चेतावनी (Necessary Instructions & Warnings on The Way to Jal Mahal)
जल महल की सड़के लम्बी घुमावदार व ढ़लान वाली है। मानसून के समय यहाँ फिसलन हो जाती है। इसलिए अगर आप यहाँ मानसून में सफ़र कर रहे है तो आपको सावधानी बरतनी चाहिए।
History of Jal Mahal in Hindi
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