नाहरगढ़ किले का इतिहास और उससे जुड़ी सम्पूर्ण रोचक जानकारी | Nahargarh Fort Jaipur History in Hindi:- राजस्थान अपने ऐतिहासिक धरोहरों व क़िलों के लिए जाना जाता है। भारत में एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक धरोहरें है। इन ऐतिहासिक धरोहरों में प्राचीन किले, मंदिर तथा महल है।
भारत के इस इतिहास के बारे में जानने के लिए देश-विदेश से पर्यटक यहां पर आते है। आज हम आपको ऐसी ही एक ऐतिहासिक धरोहर के बारे में बतायेंगे। जिसका नाम है- जयपुर का नाहरगढ़ का किला (Nahargarh Fort Jaipur)। तो चलिये दोस्तों शुरू करते है।
जयपुर का नाहरगढ़ किला | Nahargarh Fort Jaipur
नाहरगढ़ का किला राजस्थान राज्य के जयपुर ज़िले में स्थित है। यह किला अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है। नाहरगढ़ किले का निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने सन 1734 ईस्वी में करवाया था। नाहरगढ़ का यह किला बहुत ही सुंदर और आकर्षक है।
सुरक्षा को देखते हुए अरावली पर्वतमाला के चारों तरफ दीवारें बनाई गयी है। नाहरगढ़ का यह किला प्राचीनकाल में आमेर की राजधानी था। नाहरगढ़ का किला भयानक डरावना किला भी माना जाता है। क्योंकि इस किले में ऐसी-ऐसी भयानक घटनाएं घटी है कि सुनने वाला सहम जाए।
हम आपको इस लेख में सब कुछ बताएंगे। कईं लोग तो नाहरगढ़ किले को भूत-प्रेतों का स्थान मानते है। मानसून के समय यहाँ का नज़ारा किसी हिल स्टेशन के समान दिखता है। रात के समय में यहाँ से जयपुर शहर की रौशनी बहुत आकर्षक दिखती है।
जयपुर की प्राचीन स्थानीय ढूंढाड़ी भाषा में ‘बाघ’ को नाहर कहा जाता है। इसलिए इस किले को बाघ का किला (Tiger Fort) भी कहा जाता है। नाहरगढ़ किले की रूपरेखा विख्यात वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य ने तैयार की थी। इन्होंने ही जयपुर शहर की रचना भी तैयार की थी।
जयपुर के नाहरगढ़ किले का इतिहास | Nahargarh Fort Jaipur History in Hindi
नाहरगढ़ किले पर इसके इतिहास में कभी भी किसी ने आक्रमण नही किया है। लेकिन फिर भी नाहरगढ़ किले में कईं ऐतिहासिक घटनाएं हुई है। इन घटनाओं में मुख्य घटना 18वीं शताब्दी में घटी थी।
18वीं शताब्दी में मराठों और जयपुर के बीच युद्ध हुआ था। सन 1847 में हुए भारत विद्रोह आंदोलन के समय जयपुर के राजा सवाई राम सिंह ने यूरोपियन व ब्रिटिश नागरिकों की पत्नियों को सुरक्षित रखने के लिए नाहरगढ़ किले में पनाह दी थी।
सन 1868 में राजा सवाई राम सिंह ने अपने शासनकाल में नाहरगढ़ किले का विकास किया। इसके बाद सन 1883-92 ईस्वी के मध्य सवाई माधो सिंह ने करीब 3 लाख रुपये लगाकर नाहरगढ़ किले में अनेक महलों का निर्माण करवाया।
सवाई माधो सिंह द्वारा बनवाये गए सभी महलों में माधवेंद्र भवन प्रमुख है। यह भवन जयपुर की रानियों का सबसे प्रिय व आकर्षक भवन है। जबकि अन्य महल केवल राजाओं को ही प्रिय था। इस महल के सभी कमरें, गलियारों से जुड़े हुए है।
इस महल की दीवारों पर अनेक आकर्षक व मनमोहक कलाकारी भी बनी हुई है। इस अलावा नाहरगढ़ के किले में महाराजा निवास करते थे। अप्रैल, 1944 तक नाहरगढ़ किले का उपयोग भारतीय सरकार द्वारा कार्यालयी कार्यों के लिए किया जाता था।
इसके अलावा आपको बता दूँ कि बॉलीवुड की कईं फिल्में भी यह शूट की गयी है। इन फ़िल्मो में रंग दे बसंती और शुद्ध देशी रोमांस है। इसके अलावा बंगाली फ़िल्म सोनार केल्ला के कुछ दृश्य भी यहाँ शूट किये गए है।
जयपुर के नाहरगढ़ किले की बनावट व संरचना | Nahargarh Fort Jaipur Structure & Architecture in Hindi
नाहरगढ़ का किला 700 फ़ीट की ऊंचाई पर बना हुआ है। इस किले के इतनी अधिक ऊंचाई पर बनाने के पीछे का कारण सिर्फ शहर की सुरक्षा थी। इस किले में एक एक पिस्तौल लगी हुई है, जिसका उपयोग गोलीबारी का संकेत देने के लिए किया जाता था।
नाहरगढ़ किले में अनेकों महल है। जिसमें सबसे प्रमुख माधवेंद्र भवन है। इस महल के महिलाओं के कमरें इस प्रकार से बने हुए है कि राजा किसी भी कमरे में बिना किसी रानी को पता चले प्रवेश कर ले।
नाहरगढ़ किले के पास ही एक बहुत बड़ा व घना जंगल है। कहा जाता है कि इस जंगल में नाहरगढ़ किले के राजा शिकार पर जाते थे। यह जंगल बहुत भयानक है। इसमें काफ़ी खतरनाक जानवर भी मौजूद है। इसी कारण यहाँ आने वाले पर्यटकों को इस जंगल से दूर रखा जाता है।
इस समय इस जंगल में जाने की अनुमति किसी को नही है। नाहरगढ़ किले में बहुत से महल है। ये सभी महल आपस में एक-दूसरे से जुड़े हुए है। इन 9 महलों के नाम राजा की रानियों के नाम पर रखा गया है। इन महलों का नाम निम्नलिखित है:-
सूरज प्रकाश महल |
चंद्र प्रकाश महल |
आंनद प्रकाश महल |
जवाहर प्रकाश महल |
लक्ष्मी प्रकाश महल |
रत्न प्रकाश महल |
ललित प्रकाश महल |
बसंत प्रकाश महल |
खुशहाल प्रकाश महल |
नाहरगढ़ किले में माधवेंद्र महल के सामने एक बावड़ी भी मौजूद है। यह बावड़ी उस समय का मंच हुआ करता था। यहाँ पर राजा अपने खास मेहमानों के लिए मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित करते थे। इस बावड़ी के तीनों ओर घुमावदार सीढ़ियां बनी हुई है। यह बहुत ही खूबसूरत बावड़ी है।
जयपुर के नाहरगढ़ किले की कहानी | Nahargarh Fort Jaipur Story in Hindi
इस किले का नाम नाहरगढ़ कैसे पड़ा? यह सवाल सभी के मन में है। बल्कि किसी भी वस्तु के पीछे की कहानी जानने की उत्सुकता सभी को होती है। तो चलिये, आपको बताते है कि नाहरगढ़ किले का नाम नाहरगढ़ कैसे पड़ा?
नाहरगढ़ किले का नाम नाहर सिंह भौमिया के नाम पर रखा गया था। कईं लोगों का मानना है कि वह एक राठौड़ राजकुमार था। जिस स्थान पर सवाई जय सिंह द्वितीय ने इस किले का निर्माण करवाया था, वह भूमि नाहर सिंह भौमिया की थी।
कहा जाता है कि जब नाहरगढ़ किले का निर्माण चल रहा था तो उस समय नाहर सिंह भौमिया की आत्मा ने किले के निर्माण कार्य में अनेक बाधा उत्पन्न की थी। दिन के समाप्त होने के बाद मजदूर घर चले जाते थे।
अगले दिन जब वे काम पर आते थे तो उन्हें सारा कार्य बर्बाद हुआ मिलता था। उस समय राजा को कुछ समझ नही आ रहा था कि यह कौन कर रहा है? राजा ने तांत्रिकों को बुलाया। इस पर तांत्रिकों ने कहा कि यहाँ एक व्यक्ति की आत्मा भटकती है और वही यह सबकुछ करती है।
सवाई जय सिंह द्वितीय ने उसकी आत्मा की शांति के लिए नाहरगढ़ किले में उसके नाम का एक मंदिर भी बनवाया। तब से इस किले का नाम भी नाहरगढ़ किला पड़ा।
इससे उस प्रेतात्मा की बाधा समाप्त हो गयी। इससे पहले इस किले का नाम सुदर्शनगढ़ था। तो यह थी नाहरगढ़ किले की कहानी। इस कहानी से पता चलता है कि आखिरकार क्यों इस किले का नाम नाहरगढ़ पड़ा।
नाहरगढ़ जाने का सबसे उपयुक्त समय | Best Time To Visit Nahargarh Fort
जयपुर शहर को पर्यटक बहुत पसंद करते है। यहाँ पर प्रत्येक वर्ष लाखों पर्यटक घूमने आते है। जयपुर शहर एक गर्म प्रदेश है। गर्मियों में यहाँ की हालत बहुत खराब हो जाती है। जून के महीने में तो यहाँ का तापमान 45 डिग्री से भी ऊपर तक चला जाता है।
जयपुर में मानसून का समय जुलाई से सितंबर के मध्य रहता है। इस समय भी घूमना उचित नही है। क्योंकि इस समय बारिश के कारण उमस हो जाती है।
जयपुर व नाहरगढ़ किले में घूमने का सबसे बढ़िया समय अक्टूबर से मार्च तक का महीना होता है। इन महीनों में यहाँ सूरज का ताप कम होता है। यह समय सर्दियों का समय होता है। इस समय तापमान 22 डिग्री के आसपास ही रहता है।
नाहरगढ़ कैसे पहुँचे | How To Reach Nahargarh Fort Jaipur?
जयपुर शहर में परिवहन की सेवाएं पूर्ण रूप से जुड़ी हुई है। जयपुर का हवाई अड्डा, शहर से 7 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा जयपुर शहर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आपको नाहरगढ़ किले तक पहुंचना है।
तो आपको ऑटो-रिक्श व बस के माध्यम से यहाँ पर आ सकते है। यदि आपको रेलगाड़ी के माध्यम से अपना सफर करना है तो यहाँ से रेलवे स्टेशन 5 किलोमीटर दूर स्थित है। यह शहर से बिल्कुल अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
Nahagarh Fort Jaipur History in Hindi | नाहरगढ़ किले का इतिहास
नाहरगढ़ किले का प्रवेश शुल्क | Nahargarh Fort Entry Fee & Ticket Price
Tourist (पर्यटक) | Entry Fee / Ticket Price (प्रवेश शुल्क)) |
भारतीय विद्यार्थी | 5 रुपये |
भारतीय पर्यटक | 50 रुपये |
विदेशी पर्यटक | 200 रुपये |
नाहरगढ़ किले में प्रवेश अवधि | Nahargarh Fort Timing Duration
3 घण्टे |
नाहरगढ़ किले में प्रवेश समय | Nahargarh Fort Timings
10 A.M. – 5:30 A.M. |
नाहरगढ़ पहुँचने के साधन | Vehicles To Reach Nahargarh Fort Jaipur
नाहरगढ़ किले तक आप आसानी से किसी भी ऑटो-रिक्शा या बस के माध्यम से पहुँच सकते है।
नाहरगढ़ जाते समय आवश्यक निर्देश व चेतावनी | Necessary Instructions & Warnings on The Way to Jal Mahal
नाहरगढ़ की सड़के लम्बी घुमावदार व ढ़लान वाली है। मानसून के समय यहाँ फिसलन हो जाती है। इसलिए अगर आप यहाँ मानसून में सफ़र कर रहे है तो आपको सावधानी बरतनी चाहिए।
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