महान वैज्ञानिक सर आइज़क न्यूटन का जीवन परिचय | Sir Isaac Newton Biography in Hindi:- किसी भी प्रकार की खोज एक बड़ी सोच के बिना नहीं की जा सकती है। इस विश्व को गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत देने वाले महान वैज्ञानिक आइज़क न्यूटन का ऐसा कहना है। जिन्होंने अपनी सोच के बदौलत इस विश्व को ऐसे अद्भुत वैज्ञानिक सिद्धांत दिए।
जिनके बिना आज के समय में विज्ञान की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सर आइज़क न्यूटन के जीवनकाल के बारे में बताने से पहले हम आपको उनकी कुछ महान खोज के बारे बताते है। न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण अर्थात Law of Gravity बल की खोज की थी।
इस खोज में उन्होंने बताया कि इस विश्व में गुरुत्वाकर्षण बल नाम की एक शक्ति मौजूद है। जो प्रत्येक वस्तु को अपनी और आकर्षित करती है और खींचती है। गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही चंद्रमा, पृथ्वी के चक्कर लगाता है और पृथ्वी, सूर्य के।
इसके अलावा न्यूटन की गति के नियम अर्थात ‘Law of Motion’ का प्रयोग भौतिक विज्ञान (Physics) में सबसे अधिक किया जाता है। न्यूटन के गति के नियमों प्रयोग एक साईकिल बनाने से लेकर एक हवाई जहाज़ बनाने तक किया जाता है। इसके अलावा भी सर आइज़क न्यूटन बहुत सी खोजें की।
आज इस लेख में हम Sir Isaac Newton के जीवनकाल के बारे में सब कुछ विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। जिसमें उनकी सभी महान खोजों का वर्णन भी पूर्णतया शामिल है। तो चलिए शुरू करते है।
आइज़क न्यूटन का जीवन परिचय | Sir Isaac Newton Biography in Hindi
सर आइज़क न्यूटन का जन्म 25 दिसंबर 1642 को एक बहुत ही ग़रीब परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने पिता को कभी नहीं देखा था क्योंकि उनके पिता की मृत्यु उनके जन्म से क़रीब 3 माह पहले ही हो गई थी।
न्यूटन की सेहत जन्म से ही बहुत ख़राब थी और उन्हें बचा पाना लगभग नामुमकिन था। लेकिन शायद भगवान ने न्यूटन को महान कार्यों के लिए ही जीवित रखा और अनेकों कठोर प्रयासों के बाद उनकी जान बचा ली गई थी।
आइज़क न्यूटन का नाम उनके स्वर्गवासी पिता के नाम पर ही रखा गया था। जब न्यूटन की आयु मात्र 3 वर्ष थी। उस समय उनकी माँ ने दूसरी शादी कर ली थी। न्यूटन के सौतेले पिता को न्यूटन ज़रा भी पसंद नहीं थे।
इसिलए उनकी माँ ने न्यूटन को उनके दादा-दादी के पास छोड़कर अपने दूसरे पति के साथ रहने लगी। शुरूआती दिनों में न्यूटन ठीक से बोल भी नहीं पाते थे। उस समय उनका स्वभाव भी बहुत अधिक जिद्दी और गुस्सैल था।
इसीलिए कोई कोई मित्र अथवा दोस्त नहीं था। न्यूटन के इस स्वभाव के कारण लोग उन्हें पागल भी कहा करते थे। न्यूटन बचपन से ही चाँद-तारों के बारे में सोचा करते थे और अपने दादा-दादी से इससे सम्बंधित प्रश्न पूछा करते थे।
लेकिन उनके दादा-दादी सवालों के ज़वाब सही ढंग से नहीं दे पाते थे। क्योंकि उस समय तक विज्ञान इतनी अधिक विकसित नहीं हुई थी।
आइज़क न्यूटन की शिक्षा | Isaac Newton Education
करीब 12 वर्ष के आयु में न्यूटन ने विद्यालय में दाखिला लिया। उनकी शुरुआती विधालयी पढ़ाई द किंग्स स्कूल, ग्रान्थम (The King’s School, Grantham) से पूरी हुई। न्यूटन पढ़ाई में बहुत ही अधिक कमजोर थे।
इसलिए उनकी कक्षा के बच्चे उनका मजाक उड़ाते थे। इस बात को लेकर हर दिन न्यूटन का अपनी कक्षा के विद्यार्थियों से झगड़ा होता था। यहाँ तक कि उनके झगड़े के कारण उन्हें विद्यालय से भी निकाल दिया गया था।
इसी बीच उनके दूसरे पिता की भी मृत्यु हो गई। इसलिए न्यूटन फिर से अपनी माँ के पास आ गए। उनके दूसरे पिता की मृत्यु के पश्चात उनके घर में आय का कोई अन्य स्रोत भी नहीं बचा था।
इस कारण उनके घर के खर्चे चलाना भी बहुत अधिक कठिन हो रहा था। इसलिए न्यूटन की माँ चाहती थी कि न्यूटन अब खेती का काम करे और अपने घर का खर्च चलाएं। लेकिन न्यूटन का मन खेती में बिलकुल भी नहीं लगता था।
इसीलिए, न्यूटन की माँ ने उनके विद्यालय के प्रधानाध्यापक से बात करके न्यूटन को फिर से विद्यालय भेजना शुरू कर दिया। जिस कारण से न्यूटन को विद्यालय से निकाला गया था, न्यूटन ने विद्यालय में प्रवेश करते ही उस विद्यार्थी से बदला लेने की ठान ली।
इसलिए अब न्यूटन पूरी शिद्दत के साथ पढ़ाई करने लगे। इसलिए बहुत ही कम समय में वह विद्यालय के मेधावी छात्रों की सूची में शामिल हो गए। उसके बाद सन 1661 में, अपने एक अंकल के माध्यम से न्यूटन को ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज (Trinity College, Cambridge) में दाख़िला मिल गया।
वहाँ न्यूटन अपने कॉलेज की फ़ीस भरने और ख़ुद के निज़ी खर्चों को चलाने के लिए कॉलेज के अमीर विद्यार्थियों के पास काम किया करते थे। इसी बीच सन 1664 में उन्हें अपने कॉलेज से छात्रवृत्ति भी मिली। जिसकी वजह से न्यूटन अपनी पढ़ाई और ख़ोज पर अधिक ध्यान देने लगे।
सन 1665 में ही उन्होंने कॉलेज में उन्होंने कुछ गणित के नियमों की ख़ोज की। जिसे बाद में कैलकुलस (Calculas) का नाम दिया गया। इसी वर्ष ही उनकी B.A. (Bachelor of Arts) की पढ़ाई भी पूरी हो गई।
इसके बाद उन्होंने आगे M.A. (Master of Arts) की पढ़ाई करने का निश्चय किया। लेकिन M.A. की पढ़ाई के प्रवेश के समय ही लंदन में अचानक प्लेग की बीमारी फ़ैल गई। जिस कारण पूरे लन्दन शहर को कुछ माह के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया था।
इसीलिए न्यूटन अपनी माँ के पास वापस आ गए। अब वह घर पर ही अगले 2 वर्षों तक गति के नियम (Law of Motion) गुरुत्वाकर्षण बल के नियम (Law of Gravity) के अपने सिद्धांतों पर काम किया। देखते ही देखते अगले कुछ वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद उन्हें सफलता प्राप्त हो गई।
न्यूटन की इस सफलता ने पूरे विश्व को दिखा दिया कि जिद्दी, गुस्सैल और पागल लड़का अगर ठान ले तो वह कुछ भी कर सकता है। अपने सिद्धांतों से दुनिया को बदलने के बाद 20 मार्च 1727 को लन्दन शहर में न्यूटन का देहांत हो गया।
आइज़क न्यूटन का करियर | Isaac Newton Career
गणित विषय के अध्यापक न्यूटन को बहुत पसंद करते थे। न्यूटन जिस कॉलेज से अपनी मास्टर की डिग्री की पढ़ाई कर रहे थे। उस कॉलेज के प्रोफेसर ने दूसरी नौकरी के लिए प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया। तभी उनके गणित विषय के अध्यापक ने न्यूटन को वह रिक्त प्रोफ़ेसर के पद को पूर्ण करने के लिए कहा।
न्यूटन ने उनकी बात को स्वीकार कर लिया और वह अपने ही कॉलेज के प्रोफेसर बन गए। इसके बाद न्यूटन ने अपनी ख़ोज और अधिक बढ़ा दी। उन्होंने इस दुनिया बहुत ही उपयोगी सिद्धांत दिए।
आइज़क न्यूटन के नियम व सिद्धांत | Isaac Newton’s Laws
आइज़क न्यूटन ने इस दुनिया को बहुत से अद्भुत सिद्धांत दिए है। उनके इन सिद्धांतों के बिना हम आज के समय में मानव जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते है। न्यूटन के द्वारा दिए गए नियमों में कुछ मुख्य नियम नीचे दिए गए है।
Isaac Newton’s Law of Universal Gravitation
सार्वभौमिक गुरुत्वाकर्षण के न्यूटन के नियम में कहा गया है कि प्रत्येक कण ब्रह्मांड के हर दूसरे कण को एक बल के साथ आकर्षित करता है। जो सीधे उनके द्रव्यमान के उत्पाद के आनुपातिक है और उनके केंद्रों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती है।
प्रयोग:- एक दिन न्यूटन एक सेब के पेड़ के नीचे बैठे थे। तभी अचानक पेड़ से एक सेब टूटकर नीचे गिरा। तभी न्यूटन सोचने लगे कि यह सेब नीचे ही क्यों गिरा। आखिर यह सेब ऊपर क्यों नहीं गया।
न्यूटन बहुत देर बैठकर यही सोच रहे थे। बहुत देर तक सोचने और विचार करने के बाद उन्होंने प्रयोग करके पता लगाया कि जो वस्तु ऊपर है, वह नीचे की और ही आएगी।
जब तक गुरुत्वाकर्षण बल रहेगा। तब तक वह वस्तु नीचे की और ही आएगी और जब गुरुत्वाकर्षण बल खत्म हो जाएगा, तो वह वस्तु अपनी जगह पर तैरने लगेगी। तो कुछ इस प्रकार से न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के नियम की खोज की थी।
Isaac Newton’s Laws of Motion
आइज़क न्यूटन की सभी महान खोजों में गति के नियम (Laws of Motion) खोज सबसे अधिक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध है। न्यूटन ने इस खोज में गति के तीन नियमों की खोज की। गति के इन तीनों नियमों का वर्णन नीचे विस्तारपूर्वक दिया हुआ है।
1. Isaac Newton’s First Law of Motion
आइज़क न्यूटन का गति का जो पहला नियम है। उसका नाम है:- जड़त्व का नियम। इस नियम के अनुसार एक वस्तु की स्थति तब तक स्थिर बनी रहेगी।
जब तक कि उस वस्तु पर कोई बल ना लगाया जाए और एक वस्तु की स्थिति तब तक गतिमान रहेगी। जब तक कि इस पर कोई बल ना लगाया जाए।
आइज़क न्यूटन के गति का पहला नियम कहता है कि यदि शुद्ध बल (किसी वस्तु पर काम करने वाले सभी बलों का वेक्टर योग) शून्य है, तो वस्तु का वेग स्थिर है।
वेग एक वेक्टर मात्रा है जो ऑब्जेक्ट की गति और उसकी गति की दिशा दोनों को व्यक्त करता है। इसलिए वस्तु का वेग स्थिर होने वाला कथन यह है कि उसकी गति और उसकी गति की दिशा दोनों स्थिर हैं।
2. Isaac Newton’s Second Law of Motion
आइज़क न्यूटन के गति का दूसरा नियम है:- संवेग का नियम। इस नियम के अनुसार वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगाए गए बल के अनुक्रमानुपाती तथा संवेग परिवर्तन आरोपित बल की दिशा में होता है।
आइज़क न्यूटन का गति का दूसरा नियम कहता है कि किसी निकाय की गति के परिवर्तन की दर लागू बल पर सीधे आनुपातिक होती है और गति में यह परिवर्तन लागू बल की दिशा में होता है।
3. Isaac Newton’s Third Law of Motion
आइज़क न्यूटन के गति का तीसरा नियम है:- क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम। इस नियम के अनुसार जब किसी वस्तु पर कोई बल लगाया जाता है। तो वस्तु भी उतना ही बल उस बल के विपरीत दिशा में लगाती है।
आइज़क न्यूटन का गति का तीसरा नियम कहता है कि दो वस्तुओं के बीच सभी बल समान परिमाण और विपरीत दिशा में मौजूद हैं।
आइज़क न्यूटन द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध किताबें | Famous Books Written by Sir Isaac Newton
आइज़क न्यूटन ने अपने जीवनकाल में बहुत सी किताबें लिखी है। जिनमें उनके द्वारा की गईं सभी खोजों का वर्णन है। एक प्रकार से भौतिक विज्ञान का पूरा ज्ञान उनकी किताबों में समाया हुआ है। आइज़क न्यूटन द्वारा लिखी गई सभी किताबों का वर्णन नीचे दिया हुआ है। आप इन किताबों को यहां से खरीद भी सकते है।
आइज़क न्यूटन की कुछ किताबें उनकी मृत्यु से पहले प्रकाशित हुई थी और कुछ किताबें उनकी मृत्यु के बाद प्रकाशित हुई। साथ ही उन्होंने बहुत सी खोजों को सफल बनाया है और ये आत्मज्ञानी दार्शनिक भी थे। ये धार्मिक विचारक थे। लेकिन इस पर कुछ मतभेद भी है।
इन्होंने धार्मिक शोध के बारे में भी बहुत कुछ लिखा है। जो कि इतिहास में देखने को मिलता है। न्यूटन ने अपने जीवन में छोटे-बड़े बहुत से पदों को धारण किया है और उसका सम्मान प्राप्त किया है। न्यूटन के बारे में बहुत सी चीजें अभी भी रहस्यमयी हैं विद्वानों का अपना अलग-अलग ही मत है।
इनके अकादमी सलाहकार Isaac Barrow, Benjamin Pulleyn थे। इतिहास में उनके शिष्यों के बारे में भी लिखा गया है। जिनके नाम Roger Cotes, William Whiston है। न्यूटन का जीवन, योहानेस केप्लर, गैलीलियो गैलिली, अरस्तु, रॉबर्ट बॉयल से बहुत अधिक प्रभावित है।
मेथड ऑफ़ फ़्लक्सियन्स |
ऑफ़ नेचर ओब्वियस लॉस एंड प्रोसेसेज इन वेजिटेशन |
डे मोटू कोर्पोरम इन जिरम |
फिलोसोफी नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मेथेमेटिका |
ऑप्टिक्स |
टकसाल में मास्टर के रूप में रिपोर्टें |
एरिथमेटिका युनीवरसेलिस |
दी सिस्टम ऑफ़ दी वर्ल्ड |
ऑप्टिकल लेक्चर्स |
दी क्रोनोलोजी ऑफ़ एनशियेंट किंगडेम्स |
डेनियल पर प्रेक्षण और डी एपोकलिप्स ऑफ़ सेंट जॉन |
आइज़क न्यूटन की मृत्यु | Isaac Newton’s Death
आइज़क न्यूटन की मृत्यु 20 मार्च 1727 को हुई थी। मृत्यु के पश्चात, न्यूटन को वेस्टमिंस्टर एब्बे में दफ़न किया गया था। न्यूटन के कोई वंशज नही थे। जिस कारण उनकी संपत्ति को इनके रिश्तेदारों ने अपने अधिकार में कर लिया।
न्यूटन की मृत्यु के बाद उनके शरीर में बहुत अधिक मात्रा में पारा पाया गया था जो शायद उनके रासायनिक कार्यों को करने की वजह से था। न्यूटन का स्मारक उनके ही कब्र के ऊपर बनाया गया है।
उनकी मूर्ति पत्थर की है। जिसे माइकल रिज्ब्रेक ने सफ़ेद और धूसर संगमरमर में बनाया है, और उसकी रूपरेखा वास्तुकार विलियम कैंट द्वारा तैयार की गई है।
उनका स्मारक दर्शाता है कि उनकी दाहिनी कोहनी कईं महान पुस्तकों पर रखी हुई है और उनका बायाँ हाथ एक गणितीय सूची की तरफ इशारा कर रहा है।
जोसेफ लुईस लाग्रेंज एक फ्रेंच गणितज्ञ थे। वह हमेशा कहते थे कि न्यूटन एक महानतम प्रतिभाशाली थे। जोसेफ लुईस लाग्रेंज ने एक बार यह भी कहा था कि न्यूटन साथ ही सबसे बड़ा भाग्यशाली भी था।
अलेक्जेंडर पोप एक अंग्रेजी कवि थे। उन्होंने न्यूटन की उपलब्धियों से प्रभावित होकर उनकी याद में एक लेख लिखा –
God said “Let Newton be” and all was light.
मनुष्य अपने विचारों से बना होता है। इसलिए वह जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है। इसलिए आप अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक रखें। क्योंकि इस दुनिया में कुछ भी संभव नहीं है।
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