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गुजरात के सोमनाथ मंदिर का इतिहास – कई बार टूटा, लेकिन कैसे बना? | Somnath Temple Gujarat History, Timings & Images

Author: Clean Hindi | On:24th Nov, 2020| Comments: 0

गुजरात के सोमनाथ मंदिर का इतिहास – कई बार टूटा, लेकिन कैसे बना? | Somnath Temple Gujarat History, Timings & Images:- भारत मे बहुत बहुत बड़े-बड़े मंदिर मौजूद है। जिनका इतिहास बहुत प्रसिद्ध है। भारत हिन्दुस्तान के नाम से भी जाना जाता है। जिसका अर्थ है हिंदुओं के रहने का स्थान।

हिन्दू अपने देवी-देवताओं को बहुत अधिक मानते है और उन्हें पूजते है। हिन्दू समाज मे मंदिरो का बहुत अधिक महत्व है। वहां उनके देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है। दोस्तों वैसे तो हिन्दूओं के 33 हज़ार करोड़ देवी-देवता है। उन्हीं मे से एक है- सोमनाथ।

जी हाँ आज हम इस लेख में गुजरात के सोमनाथ मन्दिर के इतिहास के बारे में बात करेंगे। अतः आपसे निवेदन है कि आप इस लेख को पूरा जरूर पढ़िये। इससे आपको सोमनाथ मंदिर के बारे में बहुत कुछ जानकारी प्राप्त होगी। तो चलिये शुरू करते है।

अनुक्रम

  • गुजरात का सोमनाथ मंदिर कहाँ है? | Where is Somnath Temple Gujarat
  • सोमनाथ मंदिर का इतिहास | Somnath Temple History in Hindi
  • सोमनाथ मंदिर से जुड़ी लोककथा | Somnath Temple Story
  • Somnath Temple Architecture & Structure । सोमनाथ मंदिर की संरचना
  • Somnath Temple Address | सोमनाथ मंदिर का पता
  • Best Time To Visit Somnath Temple | सोमनाथ मंदिर में जाने का समय
  • Hotels Near Somnath Temple Gujarat | सोमनाथ मंदिर के पास होटल
  • How To Reach Somnath Temple | सोमनाथ मंदिर कैसे पहुँचें
    • वायु द्वारा (By Air)
    • रेल द्वारा (By Train)
    • सड़क द्वारा (By Road)
      • मार्ग 1 (Path 1)
      • मार्ग 2 (Path 2)
  • Nearest Airport to Somnath Temple | सोमनाथ मंदिर के लिए निकटतम हवाई अड्डा
  • Somnath Temple Nearest Railway Station | सोमनाथ मंदिर के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन

गुजरात का सोमनाथ मंदिर कहाँ है? | Where is Somnath Temple Gujarat

सोमनाथ का मंदिर गुजरात मे स्थित है। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। सोमनाथ मंदिर को सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। वेरावल गुजरात मे बना यह मंदिर हिन्दू वास्तुकला को दर्शाता है। यह हिन्दूओं का एक बहुत बड़ा मंदिर है।

सोमनाथ मंदिर शाश्वत तीर्थस्थान के नाम से भी जाना जाता है। जो हिन्दूओं के लिए बहुत मायने रखता है। दर्शालु दूर-दूर से इस मंदिर के दर्शन के लिये आते है। हिन्दुओं के पवित्र ग्रन्थ ऋग्वेद मे इसके निर्माता चंद्रदेव को बताया गया है।

यह भगवान शिव का मंदिर है। यह मंदिर भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में सबसे प्रमुख व प्राचीन मंदिरो मे से एक है। प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर का उलेख ऋग्वेद, स्कान्द कुरान व महाभरत मे भी मिलता है। इस मंदिर के सौन्दर्य का गुणगान कईं ग्रन्थों मे भी पाया जाता है।

कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर मे जाता है, उसके सारे पाप धूल जाते है व सभी मनोकामना पुरी हो जाती है। आप भी इस मंदिर के बारे मे जानने के लिये बहुत ही उत्सुक होंगे। आज हम आपको इस मंदिर से जुड़े रोचक व रहस्यमयी तथ्य बतायेंगे। अगर आप यहां नही गये है तो आपको यहां जरूर जाना चाहिए।

सोमनाथ मंदिर का इतिहास | Somnath Temple History in Hindi

Somnath Temple
Somnath Temple

सोमनाथ मंदिर का इतिहास बहुत रोचक है। यह मंदिर हिन्दू-धर्म के उत्थान का प्रतीक रहा है। हिन्दू-धर्म के सबसे वैभवशाली मंदिरो व तीर्थस्थल होने के कारण यह मंदिर बार-बार खंडित होता रहा है। इस मंदिर को मुस्लिम शासकों ने कईं बार नुकसान पहुँचाया है।

कई मुस्लिम राजाओ ने इसे लूटा व खंडित किया। दोस्तों, यहाँ बहुत पहले से एक मंदिर था। 7वीं शताब्दी मे इसका पुननिर्माण किया गया। जो कि वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने करवाया था।

8वीं शताब्दी मे अरब के गवर्नर जुनायद ने इसे नष्ट करवाने के लिये अपनी एक सेना भेजी और उसे नष्ट करवा दिया। कुछ समय बाद 815 ईस्वी मे गुर्जर प्रतिहार वंस के राजा नागभट्ट ने इस मंदिर का तीसरी बार पुनर्निर्माण करवाया तथा यहाँ पूजा-अर्चना शुरू करवायी।

कहा जाता है कि उन्होंने सोमनाथ मंदिर को इतना सुंदर व प्रभावशाली बनवाया था कि एक अरब यात्री अल-बरुनी ने अपनी यात्रा पर एक वृतांत लिखा। जिसमें उन्होंने इस मंदिर के सौंदर्य का वर्णन किया। जिससे इस मंदिर की कीर्ति पूरे विश्व मे फैल गयी।

उस समय महमूद गजनबी भारत को लूट रहा था। उसकी नज़र इस मंदिर पर पड़ी। उसके बाद उसने अपने 4000 साथियो के साथ इस मंदिर पर धावा बोल दिया। जब यह ख़बर वहां के लोगों को पता चली तो उन्होंने इससे बचने के लिये सोमनाथ मंदिर मे जाकर भगवान से पार्थना करने लगे।

लेकिन गज़नबी वहाँ पहुंच कर वहां उपस्थित सभी 4000 लोगों को मार दिया व मंदिर को लूट लिया। इस घटना के बाद से हिन्दू धर्म के लोग गजनबी से नफरत करने लग गये। इस घटना के बाद गुजरात के राजा भीम ने मालवा के राजा भोज के साथ मिल कर सोमनाथ मंदिर का फिर से निर्माण करवाया।

सन 1297 में दिल्ली के शासक ओरंगजेब ने गुजरात पर हमला किया व इस मंदिर को फिर से लूट लिया। भारत की स्वंतंत्रता के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इसका निर्माण करवाया। जो अभी इसकी वास्तविक संरचना है।

अगर मंदिर में स्थित शिवलिंग की बात की जाए। तो मंदिर के अनेकों बार खंडित होने के बाद भी शिवलिंग बिल्कुल सही है। इसे आदि-शिवलिंग भी कहा जाता है। लेकिन जब महमूद गजनवी ने इस मंदिर मे लूट की तो उसने इसे खंडित कर दिया।

अलाउद्दीन ख़िलजी की सेना ने भी सन 1300 ईस्वी में इस मंदिर पर आक्रमण कर इसे खंडित किया था। आगरा के किले मे उपस्थित देव द्वार इसी सोमनाथ मंदिर के है।

सन 1026 ईस्वी में महमूद ग़ज़नवी इन्हें लूट कर दिल्ली ले गया। सोमनाथ के पुराने मंदिर की जगह अब यहाँ की ट्रस्ट ने नया मंदिर बनाया है। जिसका उद्धघाटन वहाँ के मुख्यमंत्री नवल शंकर ढ़ेवले ने किया था। तो यह था सोमनाथ मंदिर का इतिहास।

जिसमें कईं मुग़ल शासकों ने इस मंदिर पर आक्रमण किया तथा इसे खंडित करते रहे। अब हम इस मंदिर से जुड़ी लोक-कथाओं की बात करेंगे। जिसमें सोमनाथ मंदिर के निर्माण की कहानी व इससे जुड़ी बहुत सी धार्मिक कथायें है। जिनका वर्णन हिन्दू-धर्म मे किया गया है।

सोमनाथ मंदिर से जुड़ी लोककथा | Somnath Temple Story

Somnath Temple Images & Photos
Somnath Temple Images & Photos

सोमनाथ मंदिर के बारे मे कहा जाता है कि यह मंदिर दुनिया की उत्पत्ति जितना ही पुराना है। ब्रह्म के सभी पुत्रों मे से एक प्रजापति दक्ष थे। उनकी 26 कन्यायें थी। इन सभी कन्याओं का विवाह उन्होंने चंद्रदेव से कर दिया।

चंद्रदेव बहुत ही सुन्दर व गुणवान थे। जिस कारण सभी कन्यायें उनसे प्रेम की अभिलाषा रखती थी। लेकिन चंद्रदेव उनमें से एक कन्या से प्रेम करते थे। जिसका नाम रोहिणी था। वह सभी बहनों मे सबसे सुन्दर व रूपवती थी।

इस कारण चंद्रदेव उनसे ज्यादा  प्रेम करते थे। इससे बाकी सभी बहनों को बहुत ज्यादा ईर्ष्या हुई व उन्होंने इस बात की शिकायत अपने पिता प्रजापति दक्ष के पास कर दी। प्रजापति दक्ष ने चंद्रदेव को समझाने का प्रयत्न किया।

लेकिन चंद्रदेव ने उनकी एक न सुनी। जिससे प्रजापति दक्ष क्रोधित हो गये। और उन्हें शाप दे दिया कि वे अपने सुंदरता को खो देंगे तथा उनकी चमक धीरे-धीरे खत्म हो जायगी। जिससे उनका अंत हो जायेगा। इस श्राप से पूरे देव लोक तथा धरती लोक मे सनसनी छा गयी।

तब सभी देवगण ब्रम्हा के पास पहुंचे और उन्होंने इस श्राप को वापिस लेने को कहा। ब्रम्हाजी ने कहा कि वे इस श्राप को वापिस तो नही ले सकते। लेकिन वे इसके  निवारण का उपाय बता सकते है। उन्होंने चंद्रदेव को प्रभाष क्षेत्र में जाकर भगवान शिव की प्रार्थना करने को कहा।

चंद्रदेव ने ऐसा ही किया। कहा जाता है कि इस आराधना मे महामत्युंज्य मंत्र का उपयोग हुआ था। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया। तथा उन्होंने चंद्रदेव के इस श्राप को खत्म करने के लिये उन्हें अपनी जटाओं में जगह दी।

कहा जाता है कि उन्होंने ही यह वरदान दिया की तुम महीने के 15 दिन अपना प्रकाशहीन व आखिरी दिन तुम्हारा प्रकाश पूरी तरह से खत्म हो जायेगा। उस दिन अमावश्या होगी। तथा उस दिन किसी भी प्रकार का धार्मिंक कार्य नही होगा।

महीने के बाकी 15 दिन तुम्हारा प्रकश बढ़ता रहेगा व अंतिम दिन तुम्हारा सम्पूर्ण प्रकाश वापस लोट आएगा। उस दिन को पूर्णिमा कहा जायेगा। इसके साथ यह भी कहा कि जो भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप करेगा वो अपनी अकाल मृत्यु से बच जायेगा।

इस मंदिर को चंद्रदेव के नाम से जाना जायेगा। तभी से इस मंदिर का नाम चंद्रदेव के अन्य नाम सोमनाथ पर पड़ा। चंद्रवंशियों के कुलदेवता बने। हिंदू ग्रन्थों के अनुसार सोमनाथ मंदिर को चंद्रदेव ने बनाया है।

Somnath Temple Architecture & Structure । सोमनाथ मंदिर की संरचना

Somanth Temple History in Hindi
Somnath Temple History in Hindi

सोमनाथ मंदिर की संरचना बहुत ही मनमोहक है। यह मंदिर काफी भव्य है। इस मंदिर के 3 मुख्य भाग है। इस मंदिर के बाहर की तरफ 2 मंडप है। इसकी छत पर विशेष रूप से एक शिल्पकला बनायी गयी है। इसमें से प्रवेश करने के बाद आपको 7 मंजिला मंदिर दिखाई देगा।

इसी मंदिर मे शिवलिंग भी स्थित है। यह शिवलिंग 7 फ़ीट ऊँचा है। इसके चारों तरफ बाकी सभी देवी-देवताओं की मुर्तियां विराजमान  है। शिवलिंग के सामने बाहरी गेट पर नंदी की एक मूर्ति बनी है। सोमनाथ मंदिर के समक्ष ही महादेव का एक मंदिर है।

जिसका निर्माण अहिल्या बाई ने करवाया था। इसलिए इस मंदिर का नाम अहील्यास्वर मंदिर रखा गया था। इस मंदिर के चारों तरफ अन्य बहुत सी मुर्तियां विराजित की गयी है। मंदिर के मुख्य द्वार पर एक अघोरलिंग की मुर्ति विद्यमान है।

इस मंदिर से एक समुन्दर तट जुड़ा हुआ है जो इसके दृश्य को और अधिक आकर्षक बनाता है। भारत की स्वतंत्रता के बाद नवम्बर 1947 में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया।

सरदार वल्लभभाई पटेल की मृत्यु के पश्चात भारत सरकार के मंत्री कन्हैयालाल माणकलाल मुंशी ने इसकी मरम्मत करवायी। बाद में इसे सोमनाथ ट्रस्ट को सौंप दिया गया। अब इस ट्रस्ट ने मूल मंदिर के स्थान पर  यहाँ एक नये मंदिर का निर्माण करवाया।

अब यहाँ के सारे काम व रख-रखाव की ज़िमेदारी इसी ट्रस्ट को दे दी गयी है। यहाँ पर काफी सुन्दर बाग-बगीचे है। यहाँ प्रतिवर्ष कईं हज़ारों श्रद्धालु आते है। जिनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल है।

यहाँ काफी भारी मात्रा मे चढावा चढ़ाया जाता है। हिंदुओं के लिये सोमनाथ मंदिर का अपना ही एक अलग महत्व है। आप भी इस मंदिर मे दर्शन करने जा सकते है। यहाँ आपकी सारी मनोकामना पूरी हो जायगी।

Somnath Temple Address | सोमनाथ मंदिर का पता

सोमनाथ, वेरावल, गुजरात, 362255

Best Time To Visit Somnath Temple | सोमनाथ मंदिर में जाने का समय

6:00 A.M. – 9:00 P.M.

Hotels Near Somnath Temple Gujarat | सोमनाथ मंदिर के पास होटल

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How To Reach Somnath Temple | सोमनाथ मंदिर कैसे पहुँचें

अगर आप सोमनाथ मंदिर जाना चाहते है। लेकिन आपको सोमनाथ पहुँचने का पता नहीं है तो चिंतित होने की जरुरत की जरुरत नहीं है। क्योंकि यहाँ नीचे हमने सोमनाथ जाने का पूरा रास्ता और तरीका बता दिया है।

वायु द्वारा (By Air)

आप दीव हवाई अड्डे के लिए एक उड़ान ले सकते हैं और फिर वहां से, आप कैब अथवा टेक्सी किराए पर ले सकते हैं या फिर सोमनाथ के लिए बस पकड़ सकते हैं। दीव हवाई अड्डा सोमनाथ से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रेल द्वारा (By Train)

सोमनाथ के निकटतम रेलमार्ग वेरावल में है। जो सोमनाथ मंदिर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप अहमदाबाद से वेरावल जंक्शन तक ट्रेन पकड़ सकते हैं।

सड़क द्वारा (By Road)

अहमदाबाद से लगभग 415 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सोमनाथ मंदिर तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। यहाँ पर हमने सड़क मार्ग के द्वारा सोमनाथ जाने के लिए 2 मार्ग बताये है। आप इनमें से आपकी सुविधानुसार कोई भी मार्ग चुन सकते है।

मार्ग 1 (Path 1)

अहमदाबाद – सुरेन्द्रनगर – राजकोट – सोमनाथ मंदिर

मार्ग 2 (Path 2)

अहमदाबाद – राजकोट – जूनागढ़ – सोमनाथ मंदिर

हालांकि, मार्ग 2 सबसे तेज़ है क्योंकि मार्ग 2 की तुलना में इसे 40 मिनट कम समय लगेगा। जिससे आपको 7 घंटे के भीतर अपने गंतव्य तक पहुंचने में मदद मिलेगी। सोमनाथ मंदिर के रास्ते में आप ऊपर दिए गए मार्गों में विश्राम कर सकते है।

Ahmedabad To Somnath Temple Distance

सोमनाथ मंदिर, अहमदाबाद से कुल लगभग 415 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

Nearest Airport to Somnath Temple | सोमनाथ मंदिर के लिए निकटतम हवाई अड्डा

अगर आप गुजरात के सोमनाथ मंदिर जाना चाहते है और आप निकटतम हवाई अड्डा के बारे में खोज रहे है तो आपकी खोज यहां पर एक बहुत ही अच्छे परिणाम के साथ ख़त्म होती है। क्योंकि यहां पर हम आपके लिए सोमनाथ मंदिर के निकटतम हवाई अड्डों की पूरी जानकारी प्रदान कर रहे है।

सोमनाथ मंदिर के पास हवाई अड्डों की स्थिति के बारे में जानकर आपको थोड़ी मायूसी हो सकती है। क्योंकि सोमनाथ में कोई भी हवाई अड्डा नहीं है। लेकिन दमन और दीव के केंद्र शासित प्रदेश दीव में एरोड्रम के माध्यम से कई शहरों से जुड़ा हुआ है।

हालांकि, एयर इंडिया रीजनल द्वारा संचालित केवल एक उड़ान दैनिक है। इसके अलावा, अन्य हवाई अड्डे पोरबंदर हवाई अड्डे के बारे में 120 किमी और राजकोट सिविल हवाई अड्डे है। जो लगभग 120 किलोमीटर दूर है। जैसे कि काफी करीब हैं।

पोरबंदर में मुंबई के साथ-साथ अन्य शहरों से भी उड़ानें हैं। राजकोट एक बहुत बड़ा हवाई अड्डा है। जो एयर इंडिया और जेट एयरवेज जैसी कई एयरलाइनों द्वारा भी संचालित किया जाता है।

Somnath Temple Nearest Railway Station | सोमनाथ मंदिर के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन

अगर आप गुजरात के सोमनाथ मंदिर जाना चाहते है और आप निकटतम रेलवे स्टेशन के बारे में खोज रहे है तो आपकी खोज यहां पर एक बहुत ही अच्छे परिणाम के साथ ख़त्म होती है। क्योंकि यहां पर हम आपके लिए सोमनाथ मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन की पूरी जानकारी प्रदान कर रहे है।

सोमनाथ से निकटतम ट्रेन स्टेशन वेरावल रेलवे स्टेशन है। यह मुंबई और अहमदाबाद जैसे क्षेत्र के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और इसमें महत्वपूर्ण शहरों से और प्रतिदिन 14 जोड़ी ट्रेनें हैं। वेरावल सराय सोमनाथ शहर से केवल 5 किमी दूर है और सभी प्रमुख शहरों से दैनिक रेलगाड़ियाँ चलती हैं।

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